Tuesday, August 15, 2017

भारत अजब बिलकुल गजब है... !!!!

दुनिया की सबसे बड़ी विविधता और सांस्कृतिक विरासत को लिए भारत हमेशा से ही दूसरी दुनिया के लिए चमत्कारों का देश रहा है। बेशक आज भारत ने तरक्की के कई मापदंड तय कर लिए है लेकिन आज भी भारत में कई ऐसी मान्यताएं है
 जिन्हें आप अंधविश्वास समझेंगे लेकिन यहां आस्था सब पर भारी है...पेश है कुछ ऐसी ही अजीबो गरीब परंपराए..



गर्म दूध से बच्चों को नहलाना
उत्तरप्रदेश में वाराणसी और मिर्जापुर में नवजात बच्चों को खौलते  दूध से नहलाया जाता है। बच्चें का पिता पहले बच्चें को दूध से नहलाता है फिर खुद भी। नवरात्रि पर होने वाले इस विधि को कराहा पूजन कहते है, जिसमें पूजारी खौलती खीर से नहाते है।
छत से बच्चों को फैंकने की परंपरा
कर्नाटक के इंदी में मौजूद संतेश्वर मंदिर और महाराष्ट्र के शोलापुर की उमर दरगाह में बच्चों को नीचे फैंकने की परंपरा है। मान्यता है कि बच्चें को ऊपर से नीचे फैंकने से परिवार में संपन्नता और खुशहाली आती है और बच्चा भी तंदरूस्त रहता है। यह परंपरा यहां सदियों से चली आ रही है।

शरीर छेदने की परंपरा
चेचक से बचने के लिए आपने टीके तो सुने होंगे लेकिन मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में हनुमान जयंती पर लोग अपने शरीर को छेदते है। इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से माता यानी चेचक के प्रकोप से बच जाते है।
बच्चों को गले तक जमीन में गाड़ना
उत्तरी कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण शुरू होने से 15 मिनट पहले बच्चों को गले तक जमीन में गाढ़ दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे बच्चों के अंदर को सभी तरह की अपगंता से छुटकारा मिल जाता है।
कुत्तों से बच्चियों की शादी
झारखंड के कई इलाकों में बाकायदा पूरे रीति-रिवाज से बच्चियों की शादी  कुत्तों के साथ कराई जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से उनके ऊपर से भूतों का साया और अशुभ ग्रहों का प्रभाव खत्म हो जाता है।
मेंढकों की शादी
असम और त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में लोग मेढ़कों की शादी कराते है। यहां ऐसी मान्यता है कि इससे इंद्र देवता खुश होते है और अच्छी बारिश होती है।
गायों के पैरों से कुचलने की परंपरा
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में दीवाली के अगले दिन एकादशी का पर्व बड़े अजीब ढंग से मनाया जाता है। यहां लोग जमीन पर लेट जाते है और उनके ऊपर से दौड़ती हुई गाये गुजारी जाती है।
फूड बाथ
कर्नाटक के कई ग्रामीण इलाकों के मंदिरो में ब्राह्मणो को केले के पत्ते में खाना खिलाया जाता है। फिर उनके छोड़े हुए खाने पर दूसरे लोग लोट मारते हैं। बाद में कुमारधारा नदी में नहाते है। मान्यता है कि ऐसा करने से चर्म रोग पूरी तरह ठीक हो जाते है।


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