आजकल के बच्चे सिर्फ मोबाइल या टेब पर गेम तक ही सीमित हो गए है लेकिन हमारे समय में ऐसे गेम हमने खेले है जो आज के युग के बच्चों के लिए सपने से सम नहीं है। आज हम आपको बचपन की कुछ ऐसी यादों में ले जाएंगे कि आप उसमें खो जाएंगे बर्शर्तें
आपने अपना बचपन खेलकर बिताया हो।कंचो का ये खेल तो याद होगा. रंग-बिरंगे कंचों से जेब भरी होती थी। |
ये खेल तो आपने जीवन में जरूर खेला होगा। जिसमें कभी लगड़ी टांग से चलना पड़ता था और एक टापू फेंकना पड़ता था। |
खो-खो तो सभी ने खेला होगा। |
लड़कियों का तो पता नहीं है लेकिन लड़कों में ये गु्ल्ली डंडे का खेल बड़ा ही फेमस थाय़ |
ये खेल तो खैर सभी जानते होंगे. चिड़िया उड़ी...भैंस उड़ी..अरे भैंस नहीं उड़ती..करो हाथ आगे.. |
ये भी क्या खेल था एक-दूसरे दोस्त को झुकाकर उसके ऊपर से कूदना..आज के बच्चों के लिए तो ये खेल एडेवेंचर में आएगा। |
आजकल के बच्चें या तो सिर्फ रेसिंग बाईक या फिर कार चलाने के बारे में सोचते है हमारे समय में तो साईकिल का टायर चलाकर जो खुशी मिलती थी वो गजब थी |
हमारे बचपन में हमारे पानी के जहाज चला करते थे। ये दौलत भी ले लो ये शौहरत भी ले लो ..मगर मुझको लौटा दो मेरी जवानी वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी.. |
मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखने का जितना मजा नहीं आता उससे ज्यादा मजा इस फिल्मी डिब्बे में फिल्म देखने में आता था। |
पिठ्ठु गर्म तो आपको याद होगा ही कि बॉल कैसे आपकी पीठ गर्म कर देती थी। |
आजकल के वेबलेट और फिजिक्स स्पीनर हमारे इस लकड़ी लट्टू के ही मार्डन रूप है। |
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